Chhath Puja 2023

छठ पूजा एक हिन्दू त्योहार है जो विशेष रूप से बिहार, झारखंड, उत्तर प्रदेश, नेपाल, और पश्चिम बंगाल में मनाया जाता है। छठ पूजा का आयोजन सूर्य देवता की पूजा के लिए किया जाता है और यह पर्व नवरात्रि के बाद, अक्टूबर और नवम्बर के बीच के महीनों में मनाया जाता है।

जानिए चार दिन तक चलने वाले छठ पूजा के महापर्व में किस दिन क्या होता है, आइए इस लेख के माध्यम से जानते हैं |

छठ पूजा चार दिन तक का उत्सव होता है और इस साल 2023 में 17 नवंबर से लेकर 20 नवंबर तक है। जिसमें व्रती विशेष रूप से सूर्य देवता छठी माई की पूजा करते हैं और अनेक पारंपरिक रीति-रिवाजों का पालन करते हैं।

नहाएखाय से छठ महापर्व प्रारंभ

यह बहुत ही कठिन व्रत में से एक माना जाता है। इस महापर्व में 36 घंटों तक बहुत ही कठिन नियमों का पालन करते हुए इस व्रत को किया जाता है। छठ पूजा का व्रत करने वाले लोग चौबीस घंटो से अधिक समय तक निर्जल उपवास रखते हैं और इस पर्व का मुख्य व्रत षष्ठी तिथि को रखा जाता है, लेकिन छठ पूजा की शुरुआत कार्तिक मास में शुक्ल पक्ष की चतुर्थी से हो जाती है।

छठ पूजा का व्रत विशेष रूप से सूर्योदय से सूर्यास्त तक का होता है। यह व्रती निराहारी होते हैं, और इस अवधि में उन्हें निर्जला व्रत (बिना पानी के उपवास) भी किया जाता है।

पहला दिन (नहायखाय) – षष्ठी:

व्रती नहाईँ और खाईँये (नहाय-खाय) कहलाता है, जिसमें वे सफाई में सूर्योदय तक अपने घर को सजाते हैं और अपने बर्तनों को सुधारते हैं।

व्रती इस दिन को व्रत करने का आदान-प्रदान करते हैं और सूर्य देवता की पूजा के लिए तैयारी करते हैं।

दूसरा दिन (खादौपूजा) – सप्तमी:

व्रती इस दिन खादौ-पूजा के तैयारी में जुटते हैं और सूर्यास्त के समय पूजा का आयोजन करते हैं। इस दिन, व्रती खादौ (गुड़ और चना) बनाते हैं और उसे सूर्य देवता को अर्पित करते हैं। इस साल खरना 18 नवंबर को है। सूर्योदय सुबह 06 बजकर 46 मिनट पर और सूर्यास्त शाम 05 बजकर 26 मिनट पर होगा।

तीसरा दिन (संज्हापूजा) – अष्टमी:

इस दिन को संज्हा-पूजा कहा जाता है, जिसमें सूर्यास्त के समय मूली के तेल की दीपकों को जलाते हैं और उन्हें सूर्य देवता की पूजा के लिए सजाते हैं। इस साल छठ पूजा का संध्या अर्घ्य 19 नवंबर को शाम 05 बजकर 26 मिनट पर होगा।

चौथा दिन (उषा अर्घ्य) – नवमी:

छठ पूजा का अंतिम दिन है जिसे उषा अर्घ्य (उगते सूर्य को अर्घ्य) कहा जाता है।

इस दिन, व्रती सूर्योदय के समय उषा अर्घ्य अर्थात सूर्य देवता को जल चढ़ाते हैं और इसके बाद व्रत समाप्त हो जाता है। इस साल 20 नवंबर को सूर्य को अर्घ्य देने का समय 06 बजकर 47 मिनट पर है।

इन चार दिनों में, व्रती और उनके परिवार सदस्य समृद्धि, सम्मान, और परिवार के सुरक्षा और सुख-शांति की कामना करते हैं।

By Sunil Singh

A civil engineer from Karnal with five years of experience, he is listed on the Kolo platform, which connects homeowners with professionals in the construction and design industry.

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